करुणा और प्रेम की प्रतिमूर्ति

ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो अपने निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर सच्चे अर्थों में समाज की सेवा करते हैं और ऐसे ही लोगों में ‛आंटी हल्दाह बंटेन’ का नाम सदैव अग्रणी रहेगा।‛आंटी’ का जन्म २१ नवंबर १९२४ में हुआ था।उन्होंने अपना सारा जीवन समाज सेवा में ही बिता दिया।उन्होंने अपने जीवन के ९६ वर्षों का यादगार सफर तय किया।उनका शुरुआती जीवन जापान और कनाडा जैसे शहरों में बीता। उनके जीवन का लक्ष्य शुरू से ही समाज की सेवा करना था। १९४४ में हल्दाह बंटेन का विवाह युवा प्रचारक ‘मार्क’ के साथ हो  गया। अब दोनों ने मिलकर समाज की सेवा का भार उठाया।

                 ‛हल्दाह बंटेन’ अपने प्रेममय व्यवहार के कारण ‛आंटी’ कहलाती हैं।१९६४ में उन्होंने २०० बच्चों के लिए अपना पहला स्कूल खोला।‛द असेम्बली ऑफ गॉड चर्च स्कूलों ‘की स्थापना की। वे एक  संस्थापक के रूप में कार्यरत रही।कोलकाता के प्रति उनका विशेष लगाव था। कोलकाता में गरीबों की मदद के लिए उन्होंने कई नए संस्थाओं की स्थापना की,जिसमें आज भी ६०० से अधिक चर्च,२०० से अधिक प्राथमिक,माध्यमिक और व्यावसायिक स्कूल,उच्च शिक्षा संस्थान,बच्चों के घर भी शामिल हैं।उनके योगदान के लिए उन्हें ‛डॉक्टरेट’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।२जुलाई,2021 में ‘आंटी बंटेन’ ने इस संसार को अलविदा कहा।

             मैं कुछ पंक्तियाँ इस महान आत्मा के बारे में कहना चाहूंगा-

                 “सारा जीवन बनी वो सबका सहारा,

                 अपंग,असहाय को भी उन्होंने तारा।

                 आंटी बंटेन का था एक ही नारा,

                 सेवा ही है धर्म हमारा।”

            

  -प्रथम अग्रवाल

                                                                 कक्षा -12A